टी आर पी के चक्कर में पत्रकारिता का का दामन दागदार ?
सुना है हफ्ते समाचार चैनलों की टीआरपी आती है इसके उत्तर चढाव के चक्कर में कुछ मीडिया चैनल और प्रिंट मीडिया केअस्तित्व सामने आ जाता है
हमेशा से लोगो का मानना है कि पत्रकारों को राजनीति दाल और नेताओ से दुरी बनाये रखना चाहिए लेकिन आज कल तो लोगो को मानना है कि पत्रकारों ने भी दलगत पार्टी बना ली है कोई बीजेपी का है कोई कांग्रेश का है कोई आप का है इतना ही नही नेताओ के खासमखास पत्रकार भी हो गए है अगर सच में ऐसा है तो लोकतंत्र के लिए बहुत घातक है
मीडिया को हमारे लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ है मीडिया देश और समाज के लिए बहुत महत्वपूर्ण संस्था है लेकिन आज कल जैसे मीडिया का विरोध हो रहा है मीडिया को भी अपने दामन में देखना चाहिए
आजकल सोशल मीडिया पर जिस तरह पत्रकारों का विरोध हो रहा है उससे लगता है सच में पत्रकारिता दागदार हो गयी है आजकल पत्रकारों के ट्वीट और फेसबुक पोस्ट पढ़िए लगता नही ये पत्रकार का पोस्ट है
मैं मानता हु की पत्रकार भी इंसान है इनकी भी निजी जिंदगी है ये जिसे चाहे सपोर्ट कर सकते है लेकिन पत्रकारिता के लेबल लगने के बाद इनको सोच समझ कर कदम उठाना चाहिए
Daily Window दैनिक झरोखा
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