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जीडीपी ग्रोथ |
एनडीए की मोदी सरकार के दौर में इस साल का ग्रोथ रेट सबसे कम है। 2016-17 में 7.1 था। 2017-18 में 6.5 प्रतिशत रहा है। 2013-14
में 6.4 प्रतिशत से मात्र .1 प्रतिशत ज़्यादा ।
दोनों मुख्य कारण बीजेपी सरकार द्वारा लागु नोटबंदी और जीएसटी हैं जो सरकार नहीं मानती है। सरकार ने नोटबंदी के दूरगामी प्रभाव को
अच्छा बताया था मगर इसके दूरगामी प्रभाव से अर्थव्यवस्था को लड़खड़ा गयी है। जीएसटी, नोटबंदी सनक भरा फैसला था और इसे लेकर लोग आज
तक लोग उलझे हुए है उसका मुख्य कारण मीडिया है। आजतक लोगो उलझाए रख्खा।
CSO (central statistical office) ने शुक्रवार को यह अनुमान जारी किया है। कृषि में भी विकास दर आधी से अधिक गिरने वाली है। 2016-17 में 4.9
प्रतिशत से 2017-18 में 2.1 प्रतिशत रहेगी। आँकड़े बताते हैं कि गाँवों में
भयंकर संकट है। सरकार के आकड़े बताते है की देश के किसानो की क्या दशा है।
आज
तक सरकार नोटबंदी का फायदा आपके सामने नहीं रख पाई। डिजिटल ट्रांजेक्शन की
बात करती है पर वो तो बिना नोटबंदी के भी हो सकता था। कुछ तो खेल है जो
सरकार नहीं बता पा रही या फिर भोली जनता को समझ नहीं आ रहा है या समझना नहीं चाहती है।
भारत में प्रति व्यक्ति आय में 8.3 प्रतिशत की दर से ही वृद्धि होने का अनुमान है। 2016-17 में 9.7 प्रतिशत की दर से बढ़ी थी। कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने साढ़े तीन साल बर्बाद हो जाने के बाद राज्य
सभा में माना है कि किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं मिल रहा है।
देवेंद्र शर्मा कब से ये बात कह रहे हैं।
सरकार पर वित्तीय दबाव बढ़ता जा रहा है। अब वह रिजर्व बैंक ले इस साल अतिरिक्त पैसा मांग रही है। मौजूदा वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में बैंकों को 250 अरब डॉलर नुक़सान होने का अंदेशा है।
नोटबंदी जैसी मूर्खतापूर्ण फैसले के कारण ये सब दुर्दशा हो रहा है। इतिहास ही नोटबंदी के फैसले को मूर्खतापूर्ण साबित करेगा। इसका नुक़सान
करोड़ों लोगों ने रोजगार गँवा कर और कमाई घटाकर उठाया है। चुनावी जीत
नोटबंदी की जीत नहीं है।
स्टेट बैंक आफ इंडिया ने संकेत दिया है कि
न्यूनतम बैलेंस पर लगने वाली जुर्माना राशि पर विचार करेगा। क्या इसे
मुख्य धारा की मीडिया ने उठाया था या सोशल माडिया ने ? बताया गया है बैंक
इस फैसले की आलोचना से प्रभावित हुआ है।
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